रेगिस्तान से समंदर मिल जाए
मेरे रास्ते में तेरा घर मिल जाए
कब से निकला नहीं घर से
तूं मिले तो सफ़र मिल जाए
एक ही दुआ खुदा से की है
नजरों से नज़र मिल जाए
कहतें हैं पीर खुदा नाराज़ है
तेरे हाथ से मुकद्दर मिल जाए
हर एक से बात करने का सबब है
बस कहीं से तेरी ख़बर मिल जाए
©Ashish Jha
#Flower