कुर्बानी की जंजीर बराबर अपने वक्त से चलती है। माँ | हिंदी कविता

"कुर्बानी की जंजीर बराबर अपने वक्त से चलती है। माँ भारतो की आरती घी से नही रक्त से जलती है।"

 कुर्बानी की जंजीर बराबर अपने वक्त से चलती है।
माँ भारतो की आरती घी से नही रक्त से जलती है।

कुर्बानी की जंजीर बराबर अपने वक्त से चलती है। माँ भारतो की आरती घी से नही रक्त से जलती है।

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