White निराश मन अपने और दूसरों के भीतर, सिर्फ कमिय | हिंदी Life

"White निराश मन अपने और दूसरों के भीतर, सिर्फ कमियों को देखता है। ये वही देखता है, जिसकी आदतें हमने अपनी, नकारात्मक विचारों से सींचा है। यह पल पल समस्याओं से घिरा हुआ, खुद को पाता है। क्योंकि दुनिया की तमाम बोझों को, अपना बोझ समझता है। आसान भाषा में कहे, तो जीवन जितना सरल है, इसे कठिन बनाने के प्रतिभागी हम स्वयं हैं। हमने ही अपने दृष्टि को, ऐसा दृष्टिकोण दिया है। ©Rohan Roy"

 White निराश मन अपने और दूसरों के भीतर, 
सिर्फ कमियों को देखता है। 
ये वही देखता है, 
जिसकी आदतें हमने अपनी, 
नकारात्मक विचारों से सींचा है। 
यह पल पल समस्याओं से घिरा हुआ, 
खुद को पाता है।
क्योंकि दुनिया की तमाम बोझों को, 
अपना बोझ समझता है। 
आसान भाषा में कहे, तो जीवन जितना सरल है, 
इसे कठिन बनाने के प्रतिभागी हम स्वयं हैं। 
हमने ही अपने दृष्टि को, ऐसा दृष्टिकोण दिया है।

©Rohan Roy

White निराश मन अपने और दूसरों के भीतर, सिर्फ कमियों को देखता है। ये वही देखता है, जिसकी आदतें हमने अपनी, नकारात्मक विचारों से सींचा है। यह पल पल समस्याओं से घिरा हुआ, खुद को पाता है। क्योंकि दुनिया की तमाम बोझों को, अपना बोझ समझता है। आसान भाषा में कहे, तो जीवन जितना सरल है, इसे कठिन बनाने के प्रतिभागी हम स्वयं हैं। हमने ही अपने दृष्टि को, ऐसा दृष्टिकोण दिया है। ©Rohan Roy

निराश मन अपने और दूसरों के भीतर,
सिर्फ कमियों को देखता है
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