हूं अगर मैं शब्द तो अर्थ उसका कौन हैं ?
गर हूं मैं मुस्कान तो हर्ष उसका कौन है ?
हूं अगर मैं प्रार्थना तो पुकार मेरी कौन है ?
गर हूं मैं पंक्ति तो विस्तार उसका कौन हैं ?
हूं अगर मैं छंद तो काव्य उसका कौन है ?
गर हूं मैं इच्छा तो प्राप्य केवल कौन है ?
केवल मैं हूं... सिर्फ मैं ...अभिषेक
...
©AB SINGH YADAV 007
#kaunhumain