मेरी दोपहर की झपकियों को शिक़ायत रही है रात भर | हिंदी कविता

"मेरी दोपहर की झपकियों को शिक़ायत रही है रात भर की तमाम बेचैनियों से । ©Kishor Taragi RAJ"

 मेरी दोपहर की झपकियों को शिक़ायत रही  है 
 रात भर की तमाम बेचैनियों से ।

©Kishor Taragi   RAJ

मेरी दोपहर की झपकियों को शिक़ायत रही है रात भर की तमाम बेचैनियों से । ©Kishor Taragi RAJ

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