पूछते मजहब नहीं रोटी खिलाने के लिए, लोग वो कुछ खान | हिंदी कविता Video

"पूछते मजहब नहीं रोटी खिलाने के लिए, लोग वो कुछ खानदानी है अभी तक गांव में।"

पूछते मजहब नहीं रोटी खिलाने के लिए, लोग वो कुछ खानदानी है अभी तक गांव में।

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