वो तेरे चेहरे पर काला तिल
ओर उपर से गोरा रंग भी..
जैसे बारिश की बूंदे खेलती है फूलो से
ऐसा काले कपड़ों मे तेरा अंग भी..
इतने भाव हैं तेरे चेहरे पर
मे रब को देखू या तुझे देखू..
यार तुम कितनी अच्छी लगती हो..
मे तो बस इतना ही कहूंगा
कोई परियों की रानी लगती हो..
यार तुम कितनी अच्छी लगती हो..
वो तेरी कातिल अदाएं
वो बालो का संवारना भी..
ओर घर जाते ही
मेरी आरती उतरना भी..
ऐसी खुशबू है तेरे बदन में
ऐसे तो किसी फूल मे भी नही..
हस्ती हुई कितनी अच्छी लगती हैं तू
ऐसे तो कोई रूप की रानी भी नहीं..
मे रानी को देखू या तुझे देखू..
यार तुम कितनी अच्छी लगती हो..
मे तो बस इतना ही कहूंगा
कोई परियों की रानी लगती हो..
यार तुम कितनी अच्छी लगती हो..
आगे फिर कभी...
©vinni.शायर
फिर कभी...
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