हम प्रेम को शरीर में ढूँढ़ते हैं इसलिये मिलता नही

"हम प्रेम को शरीर में ढूँढ़ते हैं इसलिये मिलता नही प्रतिदान चाहते हैं और जब वह मिलता नही इसलिए धोखा दिखाई देता है अगर आप प्रेम करते हो तो करते हो फिर कोई करे या न करे कोई फर्क नही पड़ना चाहिए क्योंकि प्रेम ठहराव का नाम नही है ये एक से शुरू होकर विस्तार असीम होकर असीम में ही मिल जाता है फिर कोई भेदभाव नही रहता नफ़रत के लिए कोई जगह नही होती वह ईश्वरीय हो जाता है और जब ऐसा हो तभी समझना चाहिए कि आप प्रेममय हो गये हो अब सही मायने में प्रेम को जाना है #कुसुम ✍️❤️ #प्रेम ©Kusum Sharma"

 हम प्रेम को शरीर में ढूँढ़ते हैं इसलिये मिलता नही 
प्रतिदान चाहते हैं और जब वह मिलता नही इसलिए धोखा दिखाई देता है 

अगर आप प्रेम करते हो तो करते हो फिर कोई करे या न करे कोई फर्क नही पड़ना चाहिए 

क्योंकि प्रेम ठहराव का नाम नही है ये एक से शुरू होकर विस्तार असीम होकर असीम में ही मिल जाता है

फिर कोई भेदभाव नही रहता नफ़रत के लिए कोई जगह नही होती वह ईश्वरीय हो जाता है 

और जब ऐसा हो तभी समझना चाहिए कि आप प्रेममय हो गये हो अब सही मायने में प्रेम को जाना है

#कुसुम ✍️❤️
#प्रेम

©Kusum Sharma

हम प्रेम को शरीर में ढूँढ़ते हैं इसलिये मिलता नही प्रतिदान चाहते हैं और जब वह मिलता नही इसलिए धोखा दिखाई देता है अगर आप प्रेम करते हो तो करते हो फिर कोई करे या न करे कोई फर्क नही पड़ना चाहिए क्योंकि प्रेम ठहराव का नाम नही है ये एक से शुरू होकर विस्तार असीम होकर असीम में ही मिल जाता है फिर कोई भेदभाव नही रहता नफ़रत के लिए कोई जगह नही होती वह ईश्वरीय हो जाता है और जब ऐसा हो तभी समझना चाहिए कि आप प्रेममय हो गये हो अब सही मायने में प्रेम को जाना है #कुसुम ✍️❤️ #प्रेम ©Kusum Sharma

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