ए खुदा मुझे फिर वही मां देना
फिर वही गोद और उसी का आसरा देना
खेली हूं जिसकी गोद में सोई हूं जिसकी गोद में
सीखा है जिसकी उंगलियों को पकड़कर चलना
फिर उसी उंगलियों का सहारा देना
ए खुदा मुझे फिर वही मां देना
आंचल में छुपाया है जिसने धूप को छाया बनाया है जिसने
जिस आंचल से पूछा करती थी अक्सर वो मेरे पसीने जब आती थी मैं थक कर घर में फिर उसी आंचल का एहसास देना
ऐ खुदा मुझे फिर वही मां देना
©Poetess Yogita Tiwari
#MothersDay