इन्तेहा मोहब्बत की,
वो क्या होती हैं?
हमने उनके बाद भी उन्हीं को तो चाहा हैं....
एक तरफा दो तरफा,
वो क्या होता हैं?
खो कर उन्हें हमने सिर्फ खुदको ही तो खोया हैं...
क्या पाया हैं क्या खोया हैं क्या फ़र्क पड़ता हैं?
खुशए_नसीबियत हैं की वो एक पन्ने पर तो आया है...
To be continued....
©P.P.S Anand Shinde
#kitaab