बड़े हो गए हो मगर कभी बारिश में भीगते हुए कागज की | हिंदी कविता Video

"बड़े हो गए हो मगर कभी बारिश में भीगते हुए कागज की कश्ती जरूर चलाना अब पक्के मकान बन गए है फिर भी कभी छत पर बैठकर चांद तारों से बातें करना पेड़ पौधे नहीं है फिर भी चिड़िया के लिए दाना रखना समय नहीं फिर भी कभी दो पल मां के वक़्त बिताना बचपन अब नहीं रहा फिर भी कभी खुले आसमान में पतंग के पेंच लड़ाना ©Ric G "

बड़े हो गए हो मगर कभी बारिश में भीगते हुए कागज की कश्ती जरूर चलाना अब पक्के मकान बन गए है फिर भी कभी छत पर बैठकर चांद तारों से बातें करना पेड़ पौधे नहीं है फिर भी चिड़िया के लिए दाना रखना समय नहीं फिर भी कभी दो पल मां के वक़्त बिताना बचपन अब नहीं रहा फिर भी कभी खुले आसमान में पतंग के पेंच लड़ाना ©Ric G

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