कुछ बातें करते हैं कुछ तुम कहो कुछ हम कहें,दोनों अपने अपने मन की बाते कहते हैं,जो कह भी ना पाए हम खुद से भी वो बातें एक दूजे से सांझा करते हैं,हर अरमान अपने दिल के एक दूजे से कहते है,कितना कुछ कहना चाहा पर हर बार अपनों के,खातिर खुद को रोक लेते हैं आज छूट चुके हैं वो बंधन सारे,जो कल तक हमको रोके रखे थे आओ बैठो पास मेरे,कुछ बाते अपनी करते है।।
©Shurbhi Sahu
कहे अनकहे बातें