White कोई भी तदबीर फ़िर नाकाम नहीं होती। मेरी सांस | हिंदी शायरी

"White कोई भी तदबीर फ़िर नाकाम नहीं होती। मेरी सांसे मलाकुल मौत की गुलाम नहीं होती। तमाम लोगो के चेहरे पे आ जाती मुस्कान सनम। काश के इस्लाम में ख़ुदकशी हराम नहीं होती। ©Mohd Shuaib Malik~सनम"

 White कोई भी तदबीर फ़िर नाकाम नहीं होती।
मेरी सांसे  मलाकुल मौत की गुलाम नहीं होती।
तमाम लोगो के चेहरे पे आ जाती मुस्कान सनम।
काश के इस्लाम में ख़ुदकशी हराम नहीं होती।

©Mohd Shuaib Malik~सनम

White कोई भी तदबीर फ़िर नाकाम नहीं होती। मेरी सांसे मलाकुल मौत की गुलाम नहीं होती। तमाम लोगो के चेहरे पे आ जाती मुस्कान सनम। काश के इस्लाम में ख़ुदकशी हराम नहीं होती। ©Mohd Shuaib Malik~सनम

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