अंधेरा
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दिल ऐसे तोड़ गए सनम,जैसे,
दिल ना हुए,शीशे का टुकड़ा हो गया,
आज फिर किसी दर्दे दिल से आह निकली,
आज फिर किसी का,जहां लुट गया।
रोनक बढ़ रही है,तेरी महफिल की साकी,
ले आज एक और,परवाने जा इज़ाफ़ा हुआ,
आज फिर कोई शम्मा बुझ गई...
आज फिर किसी का,घर अंधेरा हुआ।
।।शुक्रिया।।
***बीना***
(09/12/2020)
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