भिन्न - भिन्न किरदार मेरे, मैं.बदनसीबी और प्यार क | हिंदी Poetry

"भिन्न - भिन्न किरदार मेरे, मैं.बदनसीबी और प्यार का मारा हूं। कोई कहता है शायर मुझको तो      किसी कि नज़र में आवारा हूं..।। ©Vk Virendra"

 भिन्न - भिन्न किरदार मेरे,
 मैं.बदनसीबी और प्यार का मारा हूं।
कोई कहता है शायर मुझको तो
     किसी कि नज़र में आवारा हूं..।।

©Vk Virendra

भिन्न - भिन्न किरदार मेरे, मैं.बदनसीबी और प्यार का मारा हूं। कोई कहता है शायर मुझको तो      किसी कि नज़र में आवारा हूं..।। ©Vk Virendra

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