वो एक शाम गुलाल का था
उसकी अदह लहरों की थी
रंग कई तरह के थे
पर शाम बन ना पाई
सोचा था बहुत बोलेंगे होली संग खेलेंगे
उसे रंग के भंग में होली खिलवायेंगे
होली आई है मेरे मित्रों
तुम्हारे संग खेलेंगे
रंग बिरंगे वस्त्र है मेरे तुमसे
प्यार भरा रंग गुल खेलें रंगो की होली
©Gaurav Gupta
#Holi