मंजिल कितनी भी ऊंची हो। रास्ते हमेशा पेरों के नीचे | हिंदी Shayari

"मंजिल कितनी भी ऊंची हो। रास्ते हमेशा पेरों के नीचे होते हैं। ©Sanjay Shethiya"

 मंजिल कितनी भी ऊंची हो।
रास्ते हमेशा पेरों के नीचे होते हैं।

©Sanjay Shethiya

मंजिल कितनी भी ऊंची हो। रास्ते हमेशा पेरों के नीचे होते हैं। ©Sanjay Shethiya

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