कभी सोचा भी नहीं था.. कि किस्मत.. ऐसे सामने से आ | हिंदी Poetry

"कभी सोचा भी नहीं था.. कि किस्मत.. ऐसे सामने से आ कर.. मेरा हाथ थामेगी..! माना की.. शाम के बाद.. कहीं किसी ओर.. और उजाला ही.. नहीं होता.. मगर कुछ.. किस्मत चमकती है.. शाम के.. ढल जाने के बाद भी..! ऐसी किस्मत.. ना हर किसीको.. मिलती है.. ना हर किसीको.. मिलेगी.! ©Jayashree Mishra."

 कभी सोचा भी नहीं था.. 
कि किस्मत.. 
ऐसे सामने से आ कर.. 
मेरा हाथ थामेगी..! 

माना की.. 
शाम के बाद..
कहीं किसी ओर.. 
और उजाला ही..
नहीं होता.. 

मगर कुछ.. 
किस्मत चमकती है.. 
शाम के..
ढल जाने के बाद भी..! 

ऐसी किस्मत.. 
ना हर किसीको..
मिलती है.. 
ना हर किसीको..
मिलेगी.!

©Jayashree Mishra.

कभी सोचा भी नहीं था.. कि किस्मत.. ऐसे सामने से आ कर.. मेरा हाथ थामेगी..! माना की.. शाम के बाद.. कहीं किसी ओर.. और उजाला ही.. नहीं होता.. मगर कुछ.. किस्मत चमकती है.. शाम के.. ढल जाने के बाद भी..! ऐसी किस्मत.. ना हर किसीको.. मिलती है.. ना हर किसीको.. मिलेगी.! ©Jayashree Mishra.

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