बचपन छूटा सखियां छूटी यमुना जल न पाऊं
रस्ते छूटे गलियां छूटी बंसी सुन न पाऊं
पिछला जीवन वनवास में बीता
इस जन्म तू गाता है गीता
याद में तेरी गंगा जल मेरी अंखियों से बहता
और ना जाने कितने वर्षों तक तेरी राह तक तक जाऊं
कब तक प्रीत निभाऊं कान्हा, कब तक प्रीत निभाऊं
©Dil ke alfaj
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