होलिका राक्षसी भक्त प्रहलाद की बुआ थी। जब हिरण्यकश्यपु कई तरीको से भक्त प्रहलाद को न मार पाया तब अपने भाई असुर हिरण्यकश्यपु के आदेश पर प्रहलाद को मारने के लिए आग में प्रहलाद बच्चे को लेकर बैठ गयी थी। होलिका राक्षसी को ब्रह्मदेव से वरदान प्राप्त था की अग्नि उसका कुछ नहीं बिगाड़ पायेगी अर्थात अग्नि में जलेगी नहीं।
©khushbu dubey
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