The last page of notebook साथ चलते जा रहे हैं पास आ सकते नहीं
इक नदी के दो किनारों को मिला सकते नहीं
देने वाले ने दिया सब कुछ अजब अंदाज़ में
सामने दुनिया पड़ी है और उठा सकते नहीं
उसकी भी मजबूरियां हैं मेरी भी मजबूरियां
रोज़ मिलते हैं मगर, घर में बता सकते नहीं
किसने किस का नाम पत्थर पर लिखा है खून से
इश्तहारों से ये दिवारे छुपा सकते नहीं
राज अब सीने से बाहर हो गया अपना कहा़
रेत पर बिखरे हुए आसू उठा सकते नहीं
आदमी किया है गुजरते वक्त की तस्वीर है
जाने वाले को सदा देखकर बुला सकते नहीं
शहर में रहते हुए हम को ज़माना हो गया
कौन रहता हैं कहा कुछ भी बता सकते नहीं
उस की आदो से महकने लगता हैं सारा बदन
प्यार की खुशबू को सीने में छुपा सकते नहीं
पथरो के के बरतनों में आसुओ को किया रखें
फूल को, लफ्जों के गमले में लिखा सकते नहीं
©saatvikor
❤️❤️❤️