बंदी जीवन भी क्या जीवन मुक्त स्वच्छंद हो जाने दो ल | हिंदी कविता

"बंदी जीवन भी क्या जीवन मुक्त स्वच्छंद हो जाने दो लाख डाउन भले पूर्ण हो अंतर अंतर से रह जाने दो हो रुदन कृदन्त बंदी जीवन भी क्या जीवन मनोदशा भी कुंठित हो समस्त रसों का रसास्वादन वंचित जीवन अंतर अंतर से रह जाने दो सफल हो बंदी जीवन"

 बंदी जीवन भी क्या जीवन
मुक्त स्वच्छंद हो जाने दो
लाख डाउन भले पूर्ण हो
अंतर अंतर से रह जाने दो
हो रुदन कृदन्त
बंदी जीवन भी क्या जीवन
मनोदशा भी कुंठित हो समस्त रसों का रसास्वादन वंचित जीवन अंतर अंतर से रह जाने दो
सफल हो बंदी जीवन

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