ख़्वाबों में उतर जाऊँ यूँ आईना लेकर मेरे हमदम मुझे | हिंदी कविता

"ख़्वाबों में उतर जाऊँ यूँ आईना लेकर मेरे हमदम मुझे मेरा अक्स लौटा दे। मौज में झूमूँ भी यूँ तेरी तेरी बाहों में, रहा मरहूम मुझे मेरा रक़्स लौटा दे।। ©Ashwani Dixit"

 ख़्वाबों में उतर जाऊँ यूँ आईना लेकर
मेरे हमदम मुझे मेरा अक्स लौटा दे।

मौज में झूमूँ भी यूँ तेरी तेरी बाहों में,
रहा मरहूम मुझे मेरा रक़्स लौटा दे।।

©Ashwani Dixit

ख़्वाबों में उतर जाऊँ यूँ आईना लेकर मेरे हमदम मुझे मेरा अक्स लौटा दे। मौज में झूमूँ भी यूँ तेरी तेरी बाहों में, रहा मरहूम मुझे मेरा रक़्स लौटा दे।। ©Ashwani Dixit

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