गर इतनी बेरुखी हो
तो लौट कर कभी मत आना ...
मैं एक बार बिखर कर रो चुकी
मुझे पूरी तरह से तोड़ने मत आना ...
धीरे धीरे वक़्त के साथ आगे बढ़ रही हूँ मैं
फिर से वक़्त को थामने मत आना ...
लोग कहते हैं मैं रखती हूँ तुम्हारी खबर
इतना ऐतबार अगर ना हो तो मत आना ...
महज ज़िक्र से तुम्हारे सिहर जाती हूँ मैं
कोई और अफसाना बनाना हो तो मत आना...
मैं ड़र जाती हूँ तेज हवाओं से अक्सर
तुम अपने तूफान में बहाने मुझे मत आना...
जो बीत गयी वो बात उसे वही पर छोड दो
महज खामोशी की सौगात लिए यहां मत आना....
Shraddha S Sahu
©Shraddha Sahu
#SAD