उलझने अगर देखे तो हम खुद ही खुद की बड़ाते चले जाते

"उलझने अगर देखे तो हम खुद ही खुद की बड़ाते चले जाते है उम्मीदों की आस यूही दुसरो से लगाते चले जाते है आस टूटने पर फिर इल्जाम भी दुसरो पर ही लगाते है ऐसे कर कर हम खुद को ही ठेस पहुँचाते चले जाते है इन सब में बस हम अपना ही दिल दुखाते है ©Sakshi Dhingra"

 उलझने अगर देखे तो हम खुद
ही खुद की बड़ाते चले जाते है

उम्मीदों की आस यूही दुसरो
से लगाते चले जाते है

आस टूटने पर फिर इल्जाम
भी दुसरो पर ही लगाते है

ऐसे कर कर हम खुद को
ही ठेस पहुँचाते चले जाते है

इन सब में बस हम अपना
ही दिल दुखाते है

©Sakshi Dhingra

उलझने अगर देखे तो हम खुद ही खुद की बड़ाते चले जाते है उम्मीदों की आस यूही दुसरो से लगाते चले जाते है आस टूटने पर फिर इल्जाम भी दुसरो पर ही लगाते है ऐसे कर कर हम खुद को ही ठेस पहुँचाते चले जाते है इन सब में बस हम अपना ही दिल दुखाते है ©Sakshi Dhingra

#Eid-e-milad

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