White हरियाणवी लोकगीत
एक कहवै तो दूजा सुणले,
बेकार लड़ाई ना होवै।
इस तरियां जै सोचै सारे,
लोग हंसाई ना होवै।
दो गज खातिर भाई भाई,
कितने मरगे लड़कै न
कितन्यां के यैं ढूंड उजड़गे,
झूठी ज़िद पै अडकै न
दगा करणिया लालची माणस,
अंत मरै सै सड़कै न
भीतर भांडे भिड़ज्यां तै,
ना बाहर जाणदयो खड़कै न।
फेर राई का पहाड़ बणै ,
जै गात समाई ना होवै।
इस तरियां जै सोचै सारे,
लोग हंसाई ना होवै।
©Vijay Vidrohi
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