चलते चलते रह में तुमको गर थकन महसूस हो
नाम लो उस जा़त का जो साहीब ए नामूस हो
रास्ते के जे़र ओ बम से गर फिसलने तुम लगो
थाम लो तुम हाथ उसका जिस से तुम मानूस हो
बन कर गुजा़रो ज़िंदगी तुम रोशनी का इक मिनार
राही को तुम रह दिखाओ जैसे इक फानूस हो
दूर रखना ऐ खुदा तू मुझ को ऐसे शख्स से
हो सामने तो मीठा बोले पीछे से जासूस हो
साहिब ए नामुस। = इज़्ज़त वाला
जे़र ओ बम = उतार चढ़ाव
फानूस। = चिराग़
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