"प्यार, दोस्त या परछाई"
देखता हूं तुझे अपने ख्यालों में और महसूस भी करता हूं,
तुझे मैं अपनी यादों में महफूज भी करता हूं।
तुझसे मोहब्बत है, यह मैं कुबूल करने से भी डरता हूं,
खो न दूं तुझसे मिलने का मौका, इसलिए मैं चुप ही रहता हूं।
मन ही मन सोचता हूं, तुम खामोशी को पढ़ोगी,
मेरी आंखों को देखकर, मेरे प्यार की गहराई को समझोगी।
कहीं तुम मेरे प्यार को दोस्ती का नाम न दे दो,
मेरा इतना प्यार देखकर, तुम मुझे सम्मान न दे दो।
फिर भी खुश हूं मैं, तेरा परछाईं बनकर,
हर लम्हा तेरे साथ, तेरे ही करीब रहकर।
चाहत तो बस इतनी है कि तू समझ सके,
तेरे बिना यह दिल कैसे तड़प सके।
तेरे साथ रहने की आरज़ू दिल में बसी है,
और तुझसे दूर जाने की फिक्र सदा इसी है।
©Evelyn Seraphina
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