White मेरी ख़ामोशी को मेरी कमज़ोरी
समझ बैठे है लोग
मेरे ख़यालात को मेरी मजबूरी
समझ बैठे है लोग
लिखती हु मै बस खुद का दिल
बहलाने के लिये
मेरे कलम को ही तलवार समझ
बैठे है लोग
नहीं परवा मुझे क्या क्या समझें
दुनिया वाले मुझे
ये ज़माना है ज़माने का क्या
हात पहलाते है वहा भी जहा कुछ नहीं है
अरे यहाँ तो पीरो को भी खुदा
समझ बैठे है लोग
©Nikhat khan
#hindi_diwas