White क्या सितम है हर रोज़ ख़ुद को थोड़ा थोड़ा मारना प | हिंदी Shayari

"White क्या सितम है हर रोज़ ख़ुद को थोड़ा थोड़ा मारना पड़ता है ज़रुरतें ख़त्म नहीं होती क़िरदार की हर रोज़ फ़िर उठना पड़ता है ©Kamal Kant"

 White क्या सितम है हर रोज़ ख़ुद को थोड़ा थोड़ा मारना पड़ता है
ज़रुरतें ख़त्म नहीं होती क़िरदार की हर रोज़ फ़िर उठना पड़ता है

©Kamal Kant

White क्या सितम है हर रोज़ ख़ुद को थोड़ा थोड़ा मारना पड़ता है ज़रुरतें ख़त्म नहीं होती क़िरदार की हर रोज़ फ़िर उठना पड़ता है ©Kamal Kant

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