सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो सभी हैं भीड़ | हिंदी कविता

"सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो इधर उधर कई मंज़िल हैं चल सको तो चलो बने बनाये हैं साँचे जो ढल सको तो चलो किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता मुझे गिराके अगर तुम सम्भल सको तो चलो यही है ज़िन्दगी कुछ ख़्वाब चन्द उम्मीदें इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो हर इक सफ़र को है महफ़ूस रास्तों की तलाश हिफ़ाज़तों की रिवायत बदल सको तो चलो कहीं नहीं कोई सूरज, धुआँ धुआँ है फ़िज़ा ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो ©Hasan Khan Shatha"

 सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो

इधर उधर कई मंज़िल हैं चल सको तो चलो
बने बनाये हैं साँचे जो ढल सको तो चलो

किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो

यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिराके अगर तुम सम्भल सको तो चलो

यही है ज़िन्दगी कुछ ख़्वाब चन्द उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो

हर इक सफ़र को है महफ़ूस रास्तों की तलाश
हिफ़ाज़तों की रिवायत बदल सको तो चलो

कहीं नहीं कोई सूरज, धुआँ धुआँ है फ़िज़ा
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो

©Hasan Khan Shatha

सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो इधर उधर कई मंज़िल हैं चल सको तो चलो बने बनाये हैं साँचे जो ढल सको तो चलो किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता मुझे गिराके अगर तुम सम्भल सको तो चलो यही है ज़िन्दगी कुछ ख़्वाब चन्द उम्मीदें इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो हर इक सफ़र को है महफ़ूस रास्तों की तलाश हिफ़ाज़तों की रिवायत बदल सको तो चलो कहीं नहीं कोई सूरज, धुआँ धुआँ है फ़िज़ा ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो ©Hasan Khan Shatha

#walkingalone

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