The road was dark when, अंधेरा बढ़ रहा था, और श | हिंदी कविता

"The road was dark when, अंधेरा बढ़ रहा था, और शाम ढलता जा रहा था | नीचे सड़क और उपर मेट्रो, रफ्तार पकड़ता जा रहा था || इतने मे वो दिखा शांत, मुस्कुराता हुआ, मैं आगे बढ़ता गया, वो नीचे आता गया, ऐसा लगा वो मुझे बुला रहा था | इतने में छिप गया कहीं, मैं ढूंढता रहा | आफताब था वो, कहाँ हाँथ आ रहा था || ©Shivam kumar"

 The road was dark when,   अंधेरा बढ़ रहा था, 
और शाम ढलता जा रहा था |
नीचे सड़क और उपर मेट्रो,
रफ्तार पकड़ता जा रहा था ||

इतने मे वो दिखा शांत, मुस्कुराता  हुआ, 
मैं आगे बढ़ता गया, 
वो नीचे आता गया, 
ऐसा लगा वो मुझे बुला रहा था |
इतने में छिप गया कहीं, 
मैं ढूंढता रहा |

आफताब था वो, 
कहाँ हाँथ आ रहा था ||

©Shivam kumar

The road was dark when, अंधेरा बढ़ रहा था, और शाम ढलता जा रहा था | नीचे सड़क और उपर मेट्रो, रफ्तार पकड़ता जा रहा था || इतने मे वो दिखा शांत, मुस्कुराता हुआ, मैं आगे बढ़ता गया, वो नीचे आता गया, ऐसा लगा वो मुझे बुला रहा था | इतने में छिप गया कहीं, मैं ढूंढता रहा | आफताब था वो, कहाँ हाँथ आ रहा था || ©Shivam kumar

#Dark

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