उसने देखा
रचना : सुनील गुप्ता
उसने देखा_______
उसने देखा ---एक लंबी कतार में
लोग चले जा रहे हैं ।
कुछ ढोल पीट रहे हैं
कुछ नारे लगा रहे हैं .......!
बहुतों के हाथ में तिरंगा है
कुछ पैंट, शर्ट, मोजा, जूता,
टाई पहने हुए हैं ।
किसी का पांव नंगा है .........!
किसी का झंडा गिर पड़ा...........
कई पैरों से कुचलता रहा
और दूर तक घिसटता चला गया ।
पता नहीं......किसी ने उठाया ...या नहीं !
उसने देखा ______
लोग चले जा रहे हैं ......
उनकी बगल से कार, मोटरसाइकिल,
ट्रैक्टर, तेज रफ्तार से गुजर रहे हैं।
अचानक एक बाइक ने
एक बच्चे को चपेट में ले लिया.....
लड़का गिरा। खून से तरबतर........
तड़पता रहा कुछ देर तक......
फिर किसी ने उठाकर पहुंचाया अस्पताल।
या नहीं .....नहीं पता!
उसने देखा _______
एक शराबी लड़खड़ाते हुए
सड़क के बीच चल रहा था ।
उसके मुंह से झाग निकल रहा था ।
उसने लंबी कतार में चलने वालों को
गाली दे देकर अपनी भड़ास निकाली।
सड़क के बीच खड़ा होकर
पीट रहा था ताली।
पता नहीं किसने
उसे सड़क के किनारे ले जाकर बिठाया।
दिन गुजरा
और दूसरे दिन सुबह सुबह अखबार आया।
उसने देखा ______
उसकी अपनी फोटो छपी थी।
उसकी अपनी कविता छपी थी ।
हुबहू छपी थी। शीर्षक था _____
"मरती संवेदनाओं के बीच आदमी,"
लिखा था _____
झंडा कुचलता रहा पैरों के नीचे.......
तड़पता रहा सड़क पर बच्चा ........
शराबी सड़क से
गुजरने वाले हर किसी को
देता रहा गाली ।।
लोग चलते रहे . .
लगे रहेअपने-अपने काम पर
मस्ती संवेदनाओं के बीच
चल रही थी मशीन सी जिंदगी।।
मैंने पूछा
संवेदनशील कवि तुम कहां थे
उसने देखा____
उसने मुझे देखा ______और बोला
मैं मैं चिंतन कर रहा था ।
कविता लिख रहा था।
सुनील गुप्ता
के सला रोड सीतापु
©Sunil Gupta
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