कोई पंछी अपने पंख फ़ैलाय उड़ रहा है अपनी ही एक मधु
"कोई पंछी अपने पंख फ़ैलाय
उड़ रहा है अपनी ही
एक मधुर सी धुन में
तो
कोई पंछी है इस अशमंजश
में आज किस ओर उरु जो
अन्न का एक दाना मिल
जाए
की एक और दिन जिन्दा रहने
का साहारा मिल जाए।।।"
कोई पंछी अपने पंख फ़ैलाय
उड़ रहा है अपनी ही
एक मधुर सी धुन में
तो
कोई पंछी है इस अशमंजश
में आज किस ओर उरु जो
अन्न का एक दाना मिल
जाए
की एक और दिन जिन्दा रहने
का साहारा मिल जाए।।।