White करवाचौथ की डोर में, मैंने यह दिन पाया है ।
मेरी ज़िंदगी की राह पर, फूल बनकर तुम आये ।
हौसला टूटा जब भी मेरा, साया बनकर तुम आये ।
एक दिन बैठी भूखी प्यासी, करवाचौथ व्रत वो कहलाये ।
एक दूजे की मोहब्बत में, ऐसा अनमोल दिन हम पाये ।
दिनभर की प्यासी आँखों से, आसमां में चंदा देखते रहे हम।
अब न इंतजार होता हमसे,मोहब्बत की रोशनी बिखेरें तुम।
©sanju पहाड़ी
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