सारस की कलम से" नफरत करके कोई, इस धरती पर जी नही | हिंदी कविता

""सारस की कलम से" नफरत करके कोई, इस धरती पर जी नहीं पाता! प्रेम बीज से मन मुदित हो, जीवन में सब खुशियां पाता!! पेड़ का हरा भरा रहना, धरती पर फसल लहराना! आकाश से जलका वर्षा होना, कलियों की बाग में मुस्काना!! प्रेम बिंदु है सब में समाहित, अंतःकरण की चेतना जागृत! हर जन मानस का, हंसना, बोलना, खिलखिलाना!! प्रेम की गहराइयों को, जिसने भी जीवन में समझा! मौत को भी मात देकर, सर उठा कर आगे चलता!! मैंने अपनी कवि ह्रदय से, अब तक जो भी लिख पाया! उन सब गीत ,काव्य में, प्रेम बिंदु की रस धारा!! हमको तुम को समझना होगा, लोगों को भी समझाना होगा! प्रेम जगत का सार तत्व है, ईश्वर की वरदान सुधा है!!"

 "सारस की कलम से"

नफरत करके कोई, इस धरती पर जी नहीं पाता!
प्रेम बीज से मन मुदित हो, जीवन में सब खुशियां पाता!!

पेड़ का हरा भरा रहना, धरती पर फसल लहराना!
आकाश से जलका वर्षा होना, कलियों की बाग में मुस्काना!!

प्रेम बिंदु है सब में समाहित, अंतःकरण की चेतना जागृत!
हर जन मानस का, हंसना, बोलना, खिलखिलाना!!

प्रेम की गहराइयों को, जिसने भी जीवन में समझा!
मौत को भी मात देकर, सर उठा कर आगे चलता!!

मैंने अपनी कवि ह्रदय से, अब तक जो भी लिख पाया!
उन सब गीत ,काव्य में, प्रेम बिंदु की रस धारा!!

हमको तुम को समझना होगा, लोगों को भी समझाना होगा!
प्रेम जगत का सार तत्व है, ईश्वर की वरदान सुधा है!!

"सारस की कलम से" नफरत करके कोई, इस धरती पर जी नहीं पाता! प्रेम बीज से मन मुदित हो, जीवन में सब खुशियां पाता!! पेड़ का हरा भरा रहना, धरती पर फसल लहराना! आकाश से जलका वर्षा होना, कलियों की बाग में मुस्काना!! प्रेम बिंदु है सब में समाहित, अंतःकरण की चेतना जागृत! हर जन मानस का, हंसना, बोलना, खिलखिलाना!! प्रेम की गहराइयों को, जिसने भी जीवन में समझा! मौत को भी मात देकर, सर उठा कर आगे चलता!! मैंने अपनी कवि ह्रदय से, अब तक जो भी लिख पाया! उन सब गीत ,काव्य में, प्रेम बिंदु की रस धारा!! हमको तुम को समझना होगा, लोगों को भी समझाना होगा! प्रेम जगत का सार तत्व है, ईश्वर की वरदान सुधा है!!

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