इस दौर के सियासत का इतना ही फसाना है। बस्ती भी जला | हिंदी Shayari

"इस दौर के सियासत का इतना ही फसाना है। बस्ती भी जलानी है मातम भी मानना है।। ©जलते आंसू"

 इस दौर के सियासत का इतना ही फसाना है। बस्ती भी जलानी है मातम भी मानना है।।

©जलते आंसू

इस दौर के सियासत का इतना ही फसाना है। बस्ती भी जलानी है मातम भी मानना है।। ©जलते आंसू

#Chess #सियासत

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