Unsplash प्रेम की चाह में शूल का अवतरण
जब एक प्रेम संबंध खंडित होना प्रारंभ होता है तो परिस्थितियां किस प्रकार नया रूप लेती हैं
प्रेम की चाह में शूल का अवतरण
प्रेम की चाह में शूल का अवतरण
तुम ह्रदय में मेरे क्यों चूभाते रहे
खुद को दोषी भला आप क्यों जानते
खुद को दोषी भला आप क्यों मानते
तुमसे जब हम मिले मुस्कुराते रहे
प्रेम की चाह में शूल का अवतरण
तर्क से बदलता व्यवहार और परिस्थितियों का आधार प्रस्तुत है
दर्द और तर्क का एक नया आवरण
दर्द और तर्क का एक नया आवरण
हर मुलाकात पर क्यों उड़ाते रहे
मैं तो उम्मीद करता रहा प्यार की
मैं तो उम्मीद करता रहा प्यार की
आप मजबूरियां क्यों गिनाते रहे
प्रेम की चाह में शूल का अवतरण
जब प्रेम पूर्वक प्रेम समाप्त ना हुआ, तो
प्रेम में तर्क तनाव और विवाद को मिला दिया
ये नया रूप तेरा नए आचरण
ये नया रूप तेरा नए आचरण
बाण व्यंगो के मुझ पर चलाते रहे
यूं गिरा प्रेम से भावना का भवन
यूं गिरा प्रेम से भावना का भवन
शोक अवशेष का क्यों मनाते रहे
प्रेम की चाह में शूल का अवतरण
जब एक लंबे समय के बाद कहीं अचानक मिल गए तो दोषी हमको बता दिया
जो जला कर गए प्रेम का अभ्यारण
जो जला कर गए प्रेम का अभ्यारण
अब वही प्रेम लिखने सुनाने लगे
सुनते सुनते उन्हें जल उठा मेरा मन
सुनते सुनते उन्हें जल उठा मेरा मन
अशृ से ना बुझा मदिराले गए
प्रेम की चाह में शूल का अवतरण
प्रेम की चाह में शूल का अवतरण
तुम ह्रदय में मेरे क्यों चूभाते रहे
धन्यवाद
धीरज पांडे
©DMehfeel Dheeraj Pandey
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