लो फिर शाम ढली है, सुबह के इंतज़ार में। अब रात भर | हिंदी Shayari Vide

"लो फिर शाम ढली है, सुबह के इंतज़ार में। अब रात भर बैठ, ख़्वाब बुनेगी। इसकी आदत भी तो मेरे जैसी है। ©Preeti Naveen Makwana "

लो फिर शाम ढली है, सुबह के इंतज़ार में। अब रात भर बैठ, ख़्वाब बुनेगी। इसकी आदत भी तो मेरे जैसी है। ©Preeti Naveen Makwana

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