और कितना चाहे किसी को ये एकांत मन, हम भी विखरते और | हिंदी Shayari Vid

"और कितना चाहे किसी को ये एकांत मन, हम भी विखरते और संवरते हैं हर दिन। कोई हमसे भी हमारा हाल पूछे, यूं ख्वाबों की दुनिया में उम्मीद की राह ताकता में, में परिंदा तेरे शहर का, अब खुद को खोकर, खुद को ही तलाशता में।। ©Sweta bhardwaj "

और कितना चाहे किसी को ये एकांत मन, हम भी विखरते और संवरते हैं हर दिन। कोई हमसे भी हमारा हाल पूछे, यूं ख्वाबों की दुनिया में उम्मीद की राह ताकता में, में परिंदा तेरे शहर का, अब खुद को खोकर, खुद को ही तलाशता में।। ©Sweta bhardwaj

#में परिंदा तेरे शहर का

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