White नहीं बदला -------------- उठ जाती थी नानी सु | हिंदी कोट्स

"White नहीं बदला -------------- उठ जाती थी नानी सुबह -सुबह। लीपती थी आँगन, पूरती थी चौक और लग जाती थी बनाने भोजन , सभी के लिए। महक उठता था घर खाने की सुगंध से। समय बदला,, माँ भी उठ जाती थी, भोर में! पूजा स्नान करके चली थी अपनी प्यारी रसोई में सभी की पसंद का बहुत कुछ बनाने। दिनभर काम करते देखा मैंने नानी और माँ को बिना शिकायत के। आज मैं भी उठती हूँ जिम्मेदारी से, घर के सभी काम निपटाने। काम पर जाने के लिए। और,,, मेरी बेटी भी जाती है काम पर, घर के काम करके। समय बदला, नजरिया बदला पर,,, नहीं बदला स्त्रियों का घर की जिम्मेदारी का जिम्मा! जिसे नहीं बाँटा घर के पुरुष ने अधिकार और मन से,,,। सपना परिहार ✍️ ©Sapna Parihar"

 White नहीं बदला
--------------
उठ जाती थी नानी 
सुबह -सुबह। लीपती थी 
आँगन, पूरती थी चौक 
और लग जाती थी बनाने 
भोजन , सभी के लिए।
महक उठता था घर 
खाने की सुगंध से।
समय बदला,,
माँ  भी उठ जाती थी, भोर में!
पूजा स्नान करके चली थी 
अपनी प्यारी रसोई में 
सभी की पसंद का बहुत कुछ बनाने।
दिनभर  काम करते देखा मैंने 
नानी और माँ को 
बिना शिकायत के।
आज मैं भी उठती हूँ जिम्मेदारी से, 
घर के सभी काम निपटाने।
काम पर जाने के लिए।
और,,, मेरी बेटी भी जाती है 
काम पर, घर के काम करके।
समय बदला, नजरिया  बदला 
पर,,, नहीं बदला 
स्त्रियों का घर की जिम्मेदारी 
का जिम्मा!
जिसे नहीं बाँटा 
घर के पुरुष ने अधिकार और 
मन से,,,।
सपना परिहार ✍️

©Sapna Parihar

White नहीं बदला -------------- उठ जाती थी नानी सुबह -सुबह। लीपती थी आँगन, पूरती थी चौक और लग जाती थी बनाने भोजन , सभी के लिए। महक उठता था घर खाने की सुगंध से। समय बदला,, माँ भी उठ जाती थी, भोर में! पूजा स्नान करके चली थी अपनी प्यारी रसोई में सभी की पसंद का बहुत कुछ बनाने। दिनभर काम करते देखा मैंने नानी और माँ को बिना शिकायत के। आज मैं भी उठती हूँ जिम्मेदारी से, घर के सभी काम निपटाने। काम पर जाने के लिए। और,,, मेरी बेटी भी जाती है काम पर, घर के काम करके। समय बदला, नजरिया बदला पर,,, नहीं बदला स्त्रियों का घर की जिम्मेदारी का जिम्मा! जिसे नहीं बाँटा घर के पुरुष ने अधिकार और मन से,,,। सपना परिहार ✍️ ©Sapna Parihar

#women_equality_day

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