आलोचना आलोचना एक बहुत ही खूबसूरत रास्ता है समाज की बुराइयों को बाहर निकालने का।
आलोचना का तात्पर्य किसी को नीचा दिखाना या किसी को ऊंचे उठाना नहीं होता है बल्कि आलोचना से व्यक्ति विशेष के कमियों एवं खूबियों का बखान किया जाता है जिससे व्यक्ति जान पाता है कि उसके अंदर क्या सही है और क्या गलत है।
क्या उसे सुधारना है और क्या और अच्छा बनाना है।
इसलिए मेरे विचार से आलोचना एक बेहतरीन सामाजिक कार्य है जिसे व्यक्ति को बिना किसी व्यक्तिगत भेदभाव के संपन्न करना चाहिए इसमें कहीं से प्रतिस्पर्धा या किसी को नीचा दिखाने का कार्य नहीं होना चाहिए।
धन्यवाद
©Chandan Dubey
आलोचना
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