अम्मा जरा देख तो ऊपर
चले आ रहे है बादल |
गरज रहे है, बरस रहे है
दीख रहा है जल ही जल
हवा चल रही क्या पुरवाई
भीग रही है डाली – डाली |
ऊपर काली घटा घिरी है
नीचे फैली हरियाली |
भीग रहे है खेत, बाग, वन
भीग रहे है घर, आगन |
बाहर निकलू मै भी भीगू
चाह रहा है मेरा मन.
©डॉ Minakshi
कविता