अम्मा जरा देख तो ऊपर चले आ रहे है बादल | गरज र | हिंदी कविता

"अम्मा जरा देख तो ऊपर चले आ रहे है बादल | गरज रहे है, बरस रहे है दीख रहा है जल ही जल हवा चल रही क्या पुरवाई भीग रही है डाली – डाली | ऊपर काली घटा घिरी है नीचे फैली हरियाली | भीग रहे है खेत, बाग, वन भीग रहे है घर, आगन | बाहर निकलू मै भी भीगू चाह रहा है मेरा मन. ©डॉ Minakshi"

 अम्मा जरा देख तो ऊपर 

चले आ रहे है बादल | 

गरज रहे है, बरस रहे है 

दीख रहा है जल ही जल 

हवा चल रही क्या पुरवाई 

भीग रही है डाली – डाली | 

ऊपर काली घटा घिरी है 

नीचे फैली हरियाली | 

भीग रहे है खेत, बाग, वन 

भीग रहे है घर, आगन | 

बाहर निकलू मै भी भीगू 

चाह रहा है मेरा मन.

©डॉ  Minakshi

अम्मा जरा देख तो ऊपर चले आ रहे है बादल | गरज रहे है, बरस रहे है दीख रहा है जल ही जल हवा चल रही क्या पुरवाई भीग रही है डाली – डाली | ऊपर काली घटा घिरी है नीचे फैली हरियाली | भीग रहे है खेत, बाग, वन भीग रहे है घर, आगन | बाहर निकलू मै भी भीगू चाह रहा है मेरा मन. ©डॉ Minakshi

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