गयी अमावस बीत दर्प तम का खंडित है । मुदित मधुर लघ | हिंदी शायरी

"गयी अमावस बीत दर्प तम का खंडित है । मुदित मधुर लघु दीप ज्योति महिमा मंडित है । मत करो अभी जय घोष समर है शेष निरंतर। ना रहे तिमिर भी लेश अरे , दिनकर के पथचर । ©Reeta Agrahari"

 गयी अमावस बीत 
दर्प तम का खंडित है ।
मुदित मधुर लघु दीप 
ज्योति महिमा मंडित है ।

मत करो अभी जय घोष
समर है शेष निरंतर।
ना रहे तिमिर भी लेश
अरे , दिनकर के पथचर ।

©Reeta Agrahari

गयी अमावस बीत दर्प तम का खंडित है । मुदित मधुर लघु दीप ज्योति महिमा मंडित है । मत करो अभी जय घोष समर है शेष निरंतर। ना रहे तिमिर भी लेश अरे , दिनकर के पथचर । ©Reeta Agrahari

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