बारिश की बूंद जो आई थी, तन मन को महकाई थी मिट्टी

"बारिश की बूंद जो आई थी, तन मन को महकाई थी मिट्टी की धीमी सी खुशबू, मीठी सुगंध बन आई थी ख्वाजा जो कबसे था सूखा, उसकी प्यास बुझाई थी बारिश की बूंद जो आई थी, तन मन को महकाई थी खेतों में नमी आई, सारी बुआई फिर भर आई थी पेड़ों की पत्तियों में, फिर नई चमक सी आई थी बारिश की बूंद जो आई थी, ............................... पंख फेला के नाचा वो, मयूर का दुख भुलाई थी झुलसती गर्मी का मौसम, बर्फ सी बन आई थी बारिश की बूंद जो आई थी, ............................... बादल बोलें ज़ोर से गड़-गड़, बिजली भी चमकाई थी नन्हे बच्चे नाव बनाते, सपनो को पार लगाई थी बारिश की बूंद जो आई थी, .............................. ©Simran Rana"

 बारिश की बूंद जो आई थी, तन मन को महकाई थी  
मिट्टी की धीमी सी खुशबू, मीठी सुगंध बन आई थी 
ख्वाजा जो कबसे था सूखा, उसकी प्यास बुझाई थी
बारिश की बूंद जो आई थी, तन मन को महकाई थी 

खेतों में नमी आई, सारी बुआई फिर भर आई थी 
पेड़ों की पत्तियों में, फिर नई चमक सी आई थी 
बारिश की बूंद जो आई थी, ...............................

पंख फेला के नाचा वो, मयूर का दुख भुलाई थी 
झुलसती गर्मी का मौसम, बर्फ सी बन आई थी 
बारिश की बूंद जो आई थी, ...............................

 बादल बोलें ज़ोर से गड़-गड़, बिजली भी चमकाई थी 
नन्हे बच्चे नाव बनाते, सपनो को पार लगाई थी 
बारिश की बूंद जो आई थी, ..............................

©Simran Rana

बारिश की बूंद जो आई थी, तन मन को महकाई थी मिट्टी की धीमी सी खुशबू, मीठी सुगंध बन आई थी ख्वाजा जो कबसे था सूखा, उसकी प्यास बुझाई थी बारिश की बूंद जो आई थी, तन मन को महकाई थी खेतों में नमी आई, सारी बुआई फिर भर आई थी पेड़ों की पत्तियों में, फिर नई चमक सी आई थी बारिश की बूंद जो आई थी, ............................... पंख फेला के नाचा वो, मयूर का दुख भुलाई थी झुलसती गर्मी का मौसम, बर्फ सी बन आई थी बारिश की बूंद जो आई थी, ............................... बादल बोलें ज़ोर से गड़-गड़, बिजली भी चमकाई थी नन्हे बच्चे नाव बनाते, सपनो को पार लगाई थी बारिश की बूंद जो आई थी, .............................. ©Simran Rana

#raindrops

People who shared love close

More like this

Trending Topic