खुले आसमान की चादर अब भी है कई चौराहों पर सजी | हिंदी Poetry Video

"खुले आसमान की चादर अब भी है कई चौराहों पर सजी बिस्तर अब भी है, सब इधर उधर बिखरे पड़े है ना तपती आह! है न बरसात की चाह! है, बाज़ार बढ़ चला है फिर भी अधनंगे फकीरों की आस बाकी है बचे खुचे नसीब हो आज तो फिर समझे अभी जिंदगी बाकी है कौन कहे किसका साथी है जब वक्त अभी भी बाकी है।। ©लेखक ओझा "

खुले आसमान की चादर अब भी है कई चौराहों पर सजी बिस्तर अब भी है, सब इधर उधर बिखरे पड़े है ना तपती आह! है न बरसात की चाह! है, बाज़ार बढ़ चला है फिर भी अधनंगे फकीरों की आस बाकी है बचे खुचे नसीब हो आज तो फिर समझे अभी जिंदगी बाकी है कौन कहे किसका साथी है जब वक्त अभी भी बाकी है।। ©लेखक ओझा

#Streetlight वक्त अब भी बाकी हैं

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