कयाम जिसका जहां हैं वही का दुःख समझे
जमींजाद फक्त इस जमीं का दुःख समझे
मेरा ख्याल है पूछो किसी सपेरे से
उम्मीद हैं वो मेरी आस्तीन का दुःख समझे
Matlabi Hu Zanab ✍️
कोई तो मेरे अलावा भी हो जो मेरी तरह हो
हर एक सवाल के आगे नहीं का दुःख समझे
हुए हैं इसलिए नाकाम चारागर मेरे
कहीं का दुःख था मगर वो कहीं का दुःख समझे
#hindiwritings #ग़ज़ल
#poeatry
#writing #Aawaz