हे परमात्मा तेरे इस संसार के सभी रिश्तों से डरने लगीं हूँ
यहाँ सभी पहन मुखोटा भावनाओं के साथ खेलते हैं
अब इन लोगों की परछाई से भी डरने लगीं हूँ.....
हे परमात्मा तू कभी मेरी आस्था को ठेस न पहुँचाना
मैं बहुत जल्दी डगमगा जाती हूँ, कभी मुझे अकेला
न छोड़ना....
हे ईश्वर अब मैं इस संसार के सभी रिश्तों की
परछाई से भी डरने लगी हूँ, खामोश सी हो गयी
मैं अब सहमने लगी हूँ......
बस अब कहीं दूर जाना चाहतीं हूँ
और कुछ पल ठहर जाना चाहती हूँ
इन हालातों से लडते लड़ते अब थकने लगीं हूँ.....!!
©💞Priya Kaushik💞
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