यूं हमसे बे-रूखी की वज़ह क्या है
मेरे इश्क़ में कमी बता क्या है
यूं तो देखे हैं इन आंखों ने हसीं चेहरे कई
फ़िदा तुझपे हुए तो इसमें मेरी ख़ता क्या है
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हर मज़हब मे इंसानियत का दूसरा पहलु है मोहब्बत
ग़र हमको हुई तो इसमें गुनाह क्या है
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ये ज़ुर्म हुआ मुझसे मानता है सैज
एक बार हंस के कह दे मेरी सज़ा क्या है
©saij salmani
Kishori (ᵔᴥᵔ) अdiति saumya mishra Ganesha•~• Shalu