White आप सबको मेरा नमस्कार आज भी मैं आपको अध्यात्म | हिंदी मोटिवेशनल

"White आप सबको मेरा नमस्कार आज भी मैं आपको अध्यात्म से संबंधित उपयोगी बात बता रहा हूं इस पृथ्वी के ऊपर जितने भी और प्राणी है उन सब का जो संस्कार है वह उसके अनुरूप ही कार्य करते हैं अगर हम उनके संस्कार में कई व्यवधान पैदा करते हैं तो वह हम पर अटैक कर सकते हैं क्योंकि उनके संस्कार शाश्वत है जैसे बिच्छू का काम है अपनी आत्मरक्षा में डंक मारना सांप का भी यही काम है और जितने भी प्राणी है सब में यही एक संस्कार होता है लेकिन मनुष्य ऐसा प्राणी है जिसके संस्कारों को बदला भी जा सकता है नए संस्कारों का धारण करना भी हो सकता है क्योंकि यह चहुं दिस विकास के कार्य को कर सकता है परिवर्तन ला भी सकता है कर भी सकता है वह मनुष्य के ऊपर निर्भर करता है कि वह कैसे संस्कारों का चुनाव करता है ©Rajinder singh bhati"

 White आप सबको मेरा नमस्कार आज भी मैं आपको अध्यात्म से संबंधित उपयोगी बात बता रहा हूं इस पृथ्वी के ऊपर जितने भी और प्राणी है उन सब का जो संस्कार है वह उसके अनुरूप ही कार्य करते हैं अगर हम उनके संस्कार में कई व्यवधान पैदा करते हैं तो वह हम पर अटैक कर सकते हैं क्योंकि उनके संस्कार शाश्वत है जैसे बिच्छू का काम है अपनी आत्मरक्षा में डंक मारना सांप का भी यही काम है और जितने भी प्राणी है सब में यही एक संस्कार होता है लेकिन मनुष्य ऐसा प्राणी है जिसके संस्कारों को बदला भी जा सकता है नए संस्कारों का धारण करना भी हो सकता है क्योंकि यह चहुं दिस विकास के कार्य को कर सकता है परिवर्तन ला भी सकता है कर भी सकता है वह मनुष्य के ऊपर निर्भर करता है कि वह कैसे संस्कारों का चुनाव करता है

©Rajinder singh bhati

White आप सबको मेरा नमस्कार आज भी मैं आपको अध्यात्म से संबंधित उपयोगी बात बता रहा हूं इस पृथ्वी के ऊपर जितने भी और प्राणी है उन सब का जो संस्कार है वह उसके अनुरूप ही कार्य करते हैं अगर हम उनके संस्कार में कई व्यवधान पैदा करते हैं तो वह हम पर अटैक कर सकते हैं क्योंकि उनके संस्कार शाश्वत है जैसे बिच्छू का काम है अपनी आत्मरक्षा में डंक मारना सांप का भी यही काम है और जितने भी प्राणी है सब में यही एक संस्कार होता है लेकिन मनुष्य ऐसा प्राणी है जिसके संस्कारों को बदला भी जा सकता है नए संस्कारों का धारण करना भी हो सकता है क्योंकि यह चहुं दिस विकास के कार्य को कर सकता है परिवर्तन ला भी सकता है कर भी सकता है वह मनुष्य के ऊपर निर्भर करता है कि वह कैसे संस्कारों का चुनाव करता है ©Rajinder singh bhati

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